Dr Anshul Agrawal

pain specialist in indore

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Discography in Indore

Overview

Discography

Discography, also known as a discogram, is a diagnostic procedure used to identify the source of back pain originating from the intervertebral discs. It is particularly useful in cases where other imaging tests have not pinpointed the exact cause of pain. Dr. Anshul Agrawal, a leading Pain Management Specialist in Indore, utilizes discography to provide accurate diagnoses and effective treatment plans for patients with chronic back pain.

Causes of Disc-Related Back Pain: Disc-related back pain can result from various conditions, including:

  • Degenerative Disc Disease: Age-related wear and tear can cause discs to lose their cushioning ability, leading to pain.
  • Herniated Discs: Discs can bulge or rupture, compressing nearby nerves and causing pain.
  • Internal Disc Disruption: Damage to the internal structure of the disc without an outward bulge or herniation.
  • Trauma: Injuries from accidents or falls can damage the intervertebral discs.

Symptoms of Disc-Related Back Pain: Patients with disc-related back pain may experience:

  • Chronic Back Pain: Persistent pain in the lower back or neck.
  • Radiating Pain: Pain that spreads to the buttocks, legs, or arms, often following the path of affected nerves.
  • Numbness and Tingling: Sensations of numbness or tingling in the extremities.
  • Muscle Weakness: Reduced strength in the arms or legs, impacting daily activities.
  • Pain with Movement: Increased pain with bending, lifting, or twisting motions.

Discography Procedure: Discography is a diagnostic test aimed at identifying the specific disc causing pain. Dr. Anshul Agrawal performs this procedure to provide targeted treatment. The process includes:

  • Preparation: The patient is positioned comfortably, and the injection site is cleaned and sterilized.
  • Local Anesthesia: A local anesthetic is administered to numb the area where the needle will be inserted.
  • Guided Injection: Using fluoroscopy (live X-ray), Dr. Agrawal carefully inserts a needle into the disc suspected of causing pain.
  • Contrast Injection: A contrast dye is injected into the disc to highlight its internal structure on imaging. The patient may be asked to describe any pain experienced during the injection.
  • Assessment: The results of the discogram, along with the patient’s pain responses, help determine if the disc is the source of pain.

Benefits of Discography:

  • Accurate Diagnosis: Helps identify the specific disc causing pain, leading to more effective treatment.
  • Guides Treatment: Provides valuable information for planning surgical or non-surgical treatments.
  • Minimally Invasive: A diagnostic procedure with minimal risk and quick recovery.

Discography is a valuable diagnostic tool for individuals suffering from chronic back pain. Dr. Anshul Agrawal, a leading Pain Management Specialist in Indore, provides expert care and personalized treatment plans to help patients achieve lasting relief. If you are experiencing persistent back pain and need an accurate diagnosis, consult Dr. Agrawal to explore the benefits of discography and take the first step towards effective treatment and recovery.

This content outlines the essential aspects of discography, highlighting Dr. Anshul Agrawal’s expertise in pain management and the specialized diagnostic procedures.

डिस्कोग्राफी

डिस्कोग्राफी, जिसे डिस्कोग्राम के नाम से भी जाना जाता है, एक निदान प्रक्रिया है जिसका उपयोग इंटरवर्टेब्रल डिस्क से उत्पन्न होने वाले पीठ दर्द के स्रोत की पहचान करने के लिए किया जाता है। यह उन मामलों में विशेष रूप से उपयोगी है जहां अन्य इमेजिंग परीक्षणों ने दर्द के सटीक कारण का पता नहीं लगाया है। इंदौर में एक प्रमुख दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. अंशुल अग्रवाल, क्रोनिक पीठ दर्द वाले रोगियों के लिए सटीक निदान और प्रभावी उपचार योजनाएँ प्रदान करने के लिए डिस्कोग्राफी का उपयोग करते हैं।

डिस्क से संबंधित पीठ दर्द के कारण: डिस्क से संबंधित पीठ दर्द विभिन्न स्थितियों के परिणामस्वरूप हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

  • अपक्षयी डिस्क रोग: आयु-संबंधित टूट-फूट के कारण डिस्क अपनी कुशनिंग क्षमता खो देती है, जिससे दर्द होता है।
  • हर्नियेटेड डिस्क: डिस्क उभर सकती है या फट सकती है, जिससे आस-पास की नसें दब सकती हैं और दर्द हो सकता है।
  • आंतरिक डिस्क विघटन: बाहरी उभार या हर्नियेशन के बिना डिस्क की आंतरिक संरचना को क्षति।
  • आघात: दुर्घटनाओं या गिरने से होने वाली चोटों से इंटरवर्टेब्रल डिस्क को नुकसान हो सकता है।

डिस्क से संबंधित पीठ दर्द के लक्षण: डिस्क से संबंधित पीठ दर्द वाले मरीजों को निम्नलिखित अनुभव हो सकते हैं:

  • क्रोनिक पीठ दर्द: पीठ के निचले हिस्से या गर्दन में लगातार दर्द होना।
  • विकीर्ण दर्द: दर्द जो नितंबों, पैरों या भुजाओं तक फैलता है, जो प्रायः प्रभावित तंत्रिकाओं के मार्ग का अनुसरण करता है।
  • सुन्नपन और झुनझुनी: हाथ-पैरों में सुन्नपन या झुनझुनी की अनुभूति।
  • मांसपेशियों में कमजोरी: बाहों या पैरों की शक्ति कम हो जाना, जिससे दैनिक गतिविधियों पर असर पड़ता है।
  • गति के साथ दर्द: झुकने, उठाने, या घुमाने पर दर्द में वृद्धि।

डिस्कोग्राफी प्रक्रिया: डिस्कोग्राफी एक नैदानिक ​​परीक्षण है जिसका उद्देश्य दर्द पैदा करने वाली विशिष्ट डिस्क की पहचान करना है। डॉ. अंशुल अग्रवाल लक्षित उपचार प्रदान करने के लिए इस प्रक्रिया को करते हैं। इस प्रक्रिया में शामिल हैं:

  • तैयारी: रोगी को आरामदायक स्थिति में बैठाया जाता है, तथा इंजेक्शन स्थल को साफ और रोगाणुरहित किया जाता है।
  • स्थानीय संज्ञाहरण: जहां सुई डाली जाएगी उस क्षेत्र को सुन्न करने के लिए स्थानीय संज्ञाहरण दिया जाता है।
  • निर्देशित इंजेक्शन: फ्लोरोस्कोपी (लाइव एक्स-रे) का उपयोग करते हुए, डॉ. अग्रवाल सावधानीपूर्वक उस डिस्क में सुई डालते हैं, जिससे दर्द होने की आशंका होती है।
  • कंट्रास्ट इंजेक्शन: इमेजिंग पर इसकी आंतरिक संरचना को उजागर करने के लिए डिस्क में एक कंट्रास्ट डाई इंजेक्ट की जाती है। मरीज़ से इंजेक्शन के दौरान अनुभव किए गए किसी भी दर्द का वर्णन करने के लिए कहा जा सकता है।
  • मूल्यांकन: डिस्कोग्राम के परिणाम, रोगी की दर्द प्रतिक्रियाओं के साथ, यह निर्धारित करने में मदद करते हैं कि क्या डिस्क दर्द का स्रोत है।

डिस्कोग्राफी के लाभ:

  • सटीक निदान: दर्द पैदा करने वाली विशिष्ट डिस्क की पहचान करने में मदद करता है, जिससे अधिक प्रभावी उपचार संभव हो पाता है।
  • उपचार मार्गदर्शन: शल्य चिकित्सा या गैर-शल्य चिकित्सा उपचार की योजना बनाने के लिए बहुमूल्य जानकारी प्रदान करता है।
  • न्यूनतम आक्रामक: न्यूनतम जोखिम और शीघ्र रिकवरी वाली निदान प्रक्रिया।

डिस्कोग्राफी पुरानी पीठ दर्द से पीड़ित व्यक्तियों के लिए एक मूल्यवान निदान उपकरण है। इंदौर में एक प्रमुख दर्द प्रबंधन विशेषज्ञ डॉ. अंशुल अग्रवाल, रोगियों को स्थायी राहत प्राप्त करने में मदद करने के लिए विशेषज्ञ देखभाल और व्यक्तिगत उपचार योजनाएँ प्रदान करते हैं। यदि आप लगातार पीठ दर्द का अनुभव कर रहे हैं और एक सटीक निदान की आवश्यकता है, तो डिस्कोग्राफी के लाभों का पता लगाने और प्रभावी उपचार और रिकवरी की दिशा में पहला कदम उठाने के लिए डॉ. अग्रवाल से परामर्श करें।

यह सामग्री डिस्कोग्राफी के आवश्यक पहलुओं को रेखांकित करती है, तथा दर्द प्रबंधन और विशिष्ट नैदानिक ​​प्रक्रियाओं में डॉ. अंशुल अग्रवाल की विशेषज्ञता पर प्रकाश डालती है।

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FAQs

Discography is a diagnostic procedure used to evaluate the intervertebral discs in the spine to identify the source of back pain. During the procedure, a contrast dye is injected into the disc space under fluoroscopic guidance, and imaging studies are performed to assess disc integrity and identify potential sources of pain, such as disc herniation, degeneration, or tears. This information helps Dr. Anshul Agrawal determine the most appropriate treatment plan for your condition.

 

During the procedure, you will be positioned on an examination table, and a local anesthetic will be used to numb the area where the needle is inserted. Using fluoroscopic imaging, Dr. Agrawal will guide the needle to the targeted disc and inject the contrast dye. You may experience temporary discomfort or pressure during the injection. After the procedure, you might feel some soreness or mild pain at the injection site, but this usually resolves within a few days. Dr. Agrawal will provide post-procedure care instructions and may recommend follow-up imaging or treatment based on the results.

 

Discography is effective in diagnosing disc-related sources of pain and can help guide treatment decisions. It provides valuable information about disc function and integrity that is not always visible on other imaging studies. While generally safe, discography carries some risks, such as infection, bleeding, or a reaction to the contrast dye. Dr. Agrawal will discuss these risks with you and ensure that the procedure is performed with careful monitoring and precautions to minimize potential complications.

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